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नानकचंद एंग्लो-संस्कृत इंटर कॉलेज, मेरठ

एक परिचय

नानकचंद एंग्लो-संस्कृत इंटर कॉलेज (एन.एस.ए.आई.का.) मेरठ की स्थापना का श्रेय पश्चिमांचल के मालवीय, परहित की कामना से ओत-प्रोत, महामना पं नानकचंद जी की वैचारिकी को पूर्ण रूप देने के लिए संकल्पबद्ध नानकचंद ट्रस्ट को जाता है। इस ट्रस्ट के सद्-यत्नों से ही विद्यालय के मुख्य भवन का शिलान्यास 25 फरवरी, 1909 ई० को उत्तर प्रदेश के तत्कालीन राज्यपाल सरजॉन प्रेसकॉट हैवेट महोदय के कर–कमलों द्वारा सम्पन्न हुआ। आवास के अभाव में नानकचन्द ऐंग्लो संस्कृत स्कूल की कक्षाएँ सबसे पहले धर्मरक्षिणी सभा हाऊस, बुढ़ाना गेट (आजकल यहाँ श्री सनातन धर्म कन्या इण्टर कॉलेज है।) में १ जुलाई, 1909 ई. से प्रारम्भ हुईं और इस भाँति विद्यालय की स्थापना के लिए संकल्पित बैकुण्ठगामी पं० नानकचंन्द जी का सुन्दर एवं शुभ स्वप्न साकार हुआ ।उत्तर प्रदेश गजेटियर के अनुसार विद्यालय 1909 ई० में मिडिल स्कूल के रूप में शुरू हुआ, 1928 ई में हाईस्कूल तथा 1948 ई० में इसने कॉलेज इंटरमीडिएट का स्तर प्राप्त किया । अपनी स्थापना से लेकर अघतन यह संस्था ज्ञान- दान के पावन अनुष्ठान को अत्यन्त ही निष्ठापूर्वक संपादित कर रही है । इस कॉलेज के छात्रों ने नित – नूतन आयाम निर्मित किये है अपनी प्रतिभा का लोहा मनवाया है। उन्होंने प्रशासन, राजनीति, खेल, सेना आदि विविध क्षेत्रों में अपने आपको स्थापित करके विद्यालय को गौरव प्रदान किया है।

आयोजन

आपका भविष्य यहीं से शुरू होता है।